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हड़ताल वापस ली गई
आज 23 मार्च 2010 को सायं लगभग 5 बजे, अध्यक्ष महोदय की ओर से हमें पुन: वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया, जहां हमें सूचित किया गया कि देना बैंक के प्रधान कार्यालय से पत्र प्राप्त हुआ है और सूचना दी गई है कि हमारे संगठन द्वारा दी गई लगभग सभी मुख्य मांगे मान ली गई हैं जिनमे प्रमुख हैं 75% एल टी सी नगदी करण, स्टाफ ओवरड्राफ्ट पर प्रायोजक बैंक के समतुल्य ब्याज, प्रमोशन और नयी भरती. हमसे अपील की गई कि हड़ताल वापिस ली जाए,
मित्रो हम इस संस्था को अपनी मातृ संस्था मानते हैं और कभी इसका अनिष्ट नहीं चाहते किंतु जब लगातार अथक परिश्रम और उत्कृष्ठ कार्य निष्पादन के बाद भी बिना किसी कारण हमारे वैध अधिकार भी हमें नहीं दिए गए तो विवशता में हमें भी प्रतिरोध करना पडा., भविष्य में भी यदि आवश्यक हुआ तो हम अपने अधिकारों की लड़ाई में कभी पीछे नहीं रहेंगे.
बहरहाल मांगे पूरी हो जाने का लिखित आश्वासन प्राप्त हो जाने पर हमने हड़ताल वापस ले ली है,
मांगे पूरी होने पर आप सभी को बधाई. बधाई इसलिए भी कि आप इस कठिन घडी में संघर्ष के लिए एकजुट रहे, बधाई उन्हें भी जो हमसे नहीं जुड़े, जिन्हें बिना किसी प्रयास ये सुविधाए मिल जाएँगी और उन्हें भी जो निरंतर उच्चाधिकारियों को बहलाते रहे कि " इनमे दम नहीं है, आप देखना हड़ताल नहीं होगी , इनकी हड़ताल को फलां फलां ,, अकेला ही ख़तम कराने के लिए काफी है " हमारे सदस्यों को भी डराने और भ्रमित करनें के प्रयास किये गए कि ये तो आर्गेनाईजेशन के एक पदाधिकारी के अहम् के कारण हो रहा है, या ट्रांसफ़र के कारण है., फिर भी आप नहीं डिगे आपने हममें विश्वास बनाए रखा अपनी एकजुटता बनाए रखी और आखिरकार अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लिया.
हम धन्यवाद देते हैं, अपने बैंक के अध्यक्ष श्री एस. पी. कोहली को, जिन्होंने हमारी मांगो के पूर्ण कराने के लिए प्रयास किया और देना बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को भी, जिन्होंने आखिरकार अपनी सहमति दे ही दी , हम उम्मीद करते हैं भविष्य में वे और भी सह्रदय होंगे और निर्णय शीघ्र लेंगे ताकि हमें हड़ताल की आवश्यकता न हो एवं उन्हें हमारे स्टाफ और उनके परिजनों की शुभकामनाए भी मिलती रहें.
यह तो थी सीधी बात, यहाँ यह बताना अनुचित नहीं होगा की एआई आर आर बी ओ एफ के महासचिव -श्री एस के भट्टाचार्य निरंतर इस घटनाक्रम पर अपनी नजर रखे हुए थे, उन्होंने दिनांक 12 मार्च को देना बैंक के सीएमडी को एक ई-मेल किया और उनसे मामले में हस्तक्षेप की मांग की, जब हमारे प्रतिनिधि मंडल से दिनांक 20 मार्च की वार्ता बे नतीजा रही तो उन्होंने देना बैंक को 21 मार्च को एक फैक्स किया जो यहाँ ज्यों का त्यों प्रस्तुत है
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REFNO. 2011:38:2010 22ND MARCH 2010
TO
THE CHAIRMAN & MANAGING DIRECTOR,
DENA BANK,
MUMBAI – 400 051
FAX MESSAGE
PLEASE REFER OUR LETTER NO. 2011:34:2010 DATED12TH MARCH, 2010ON THE ISSUE OF DECLARATION OF TWO DAY’S STRIKE ON 30TH & 31ST MARCH BY DURG RAJNANDGAON GRAMIN BANK OFFICERS’ ORGANISATION(.) DUE TO OUR PERSUASION SHRI KOHLI, CHAIRMAN OF THE RRB HELD DISCUSSION WITH DURG RAJNANDGAON GRAMIN BANK OFFICERS’ ORGANISATION ON 20TH INSTANT BUT INSISTED THAT ISSUES ARE PENDING WITH DENA BANK HEAD OFFICE AND HE CANNOT RESOLVE ANY ISSUES(.) DUE TO ADAMANT ATTITUDE OF SHRI KOHLI AND HIS GOING BACK FROM COMMITMENTS THE SITUATION IS FLARING UP(.) PLEASE INTERVENE TO STOP INDUSTRIAL STRIFE IN DURG RAJNANDGAON GRAMIN BANK(.)
REGARDS,
(S.K.BHATTACHARJEE)
GENERALSECRETARY
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क्या हमें श्री भट्टाचार्य को धन्यवाद देना चाहिए,? या उन्हें जिन्होंने हमारा विरोध किया.या हमारे सदस्यों का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया.? या हम धन्यवाद दें उन्हें जिनके विरोध ने हमारा संकल्प और कडा किया कि हमें सफल होना ही है..
अंत में..क्या जिन्होंने इस हड़ताल में सम्मिलित नहीं होने का फैसला किया था या जो लोग चापलूसी और चाटुकारिता वश हमारी मांगों से सहमत नहीं थे क्या वे इन सुविधाओं को स्वीकार नहीं करेंगे ??
अगली बार मिलने तक .. अलविदा ..
और सोचने के लिए एक प्रश्न ..क्या संगठन सिर्फ कुछ लोगों के हित के लिए कार्य करता है..?
अपना ख़याल रखें.. और वार्षिक लेखाबंदी तत्परता से पूर्ण करें..
आज बलिदान दिवस है.. राजगुरु सुखदेव और भगत सिंह का , उनके बलिदान को नमन और रामनवमी की शुभकामनाओं सहित..
बघेल बी एस
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