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गैर निष्पादक आस्तियों (एन.पी.ए.) में तीक्ष्ण वृद्धि संभावित
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आइसीआरए का ऐसा पूर्वानुमान है कि, भारतीय बैंकों में गैर निष्पादक आस्तियों का स्तर मार्च 2010 में कुल अग्रिमों के 3.25-3.75% तक हो सकता है जो मार्च 2009 में 2.17% के स्तर पर थे, पूर्वानुमान एजेंसी द्वारा किये गए देश के प्रमुख 43 वाणिज्यिक बैंकों की त्रैमासिक समीक्षा / विश्लेषण पर आधारित है.
अपने पूर्वानुमान की पुष्टि करते हुए, आइसीआरए ने कहा है कि बैंकों ने पाया है कि उनके विशेषकर पुनर्गठित ऋण में काफी खामियां हैं, .देश के सबसे बड़े बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में उनकी तीसरी तिमाही के परिणाम के मुताबिक अप्रैल से दिसम्बर 2009 के बीच नौ महीनों में रुपये 2,621 करोड़ का नया स्लिपेज हुआ है.
इसके अतिरिक्त, इकरा का मानना है कि एक और कारण है जो बैंकों में एनपीए में वृद्धि का कारण हो सकता है वह है ढीला ढाला कृषि क्षेत्र, जहां बैंक अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक या सरकार से कुछ छूट की उम्मीद कर रहे हैं और अभी तक इस क्षेत्र में काफी अधिक ऋणों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है. उम्मीद है कि सरकार किसानों के लिए एक बार में निपटान की योजना जो 2009 दिसंबर को समाप्त हो चुकी है में अभिवृद्धि कर सकती हैं इस प्रत्याशा में अभी तक इन ऋणों के लिए प्रावधान नहीं किया गया है.
इसके अलावा, आइसीआरए का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी पर्याप्तता अनुपात ( 12% CRAR) बनाए रखने के लिए रु. 1, 00,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी की ज़रूरत होगी. हालांकि, एजेंसी का मानना है कि निजी बैंकों के लिए अपनी CRAR 12% बनाए रखने में कोई विशेष परेशानी नहीं होगी. ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों नें अतिरिक्त पूंजी के लिए सरकार के पास विश्व बैंक की सरकारी बैंकं को 2 अरब डॉलर दीर्घावधि ऋण देने को योजना के अंतर्गत पूंजी प्रदान करनें के लिए गुहार लगाई है.
इकरा का यह भी पूर्वानुमान है कि आने वाले कुछ महीनों में ऋणों पर ब्याज दरें बढ़ सकती हैं
मित्रो, इस पर विचार करें और फिर बेहद खूब सूरत रंगों के साथ होली मनाएं
आप सभी के लिए रंगों का यह त्योहार जीवन के नए और बेहतरीन रंग लेकर आए, इन्ही शुभकामनाओं सहित
जल्दी ही फिर मिलते हैं एक नए विषय और चिंतन के लिए नए मसाले के साथ
तब तक के लिए
अलविदा
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